प्रिय दोस्तों मैं आप से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ---
मैं जनता हूँ इस प्रश्न को पढ़कर आप मुझे भला बुरा अवश्य बोलोगे लेकिन इस लेख को पढना अवश्य। तो यह रहा आप से पूछा जाने वाला प्रश्न---
आप में से कितने लोगो को "सेक्स" पसंद नहीं है?
जहाँ तक मेरा विचार है- ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जिसे सेक्स पसंद न हो। सेक्स हर पुरुष और स्त्री को पसंद है, थोडा नहीं खूब। और सभी यह भी जानते हैं कि यह हमारी लाइफ का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो फिर सेक्स पर डिस्कशन या चर्चा करने में लोग इतना कतराते क्यों हैं?
सोचने वाली बात है न ? अगर कोई सेक्स पर बातें करता है तो उसे गलत क्यों कहा जाता है? उसे नीचा दिखाने की कोशिश क्यों की जाती है? उसे भला-बुरा क्यों बोला जाता है?
मैं बताता हूँ आपको इसका कारण--
अब बताईये हमे सेक्स नॉलेज की जरुरत है या नहीं? मैं सही हूँ या गलत? कमेंट्स जरुर करें....
मैं जनता हूँ इस प्रश्न को पढ़कर आप मुझे भला बुरा अवश्य बोलोगे लेकिन इस लेख को पढना अवश्य। तो यह रहा आप से पूछा जाने वाला प्रश्न---
आप में से कितने लोगो को "सेक्स" पसंद नहीं है?
जहाँ तक मेरा विचार है- ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जिसे सेक्स पसंद न हो। सेक्स हर पुरुष और स्त्री को पसंद है, थोडा नहीं खूब। और सभी यह भी जानते हैं कि यह हमारी लाइफ का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो फिर सेक्स पर डिस्कशन या चर्चा करने में लोग इतना कतराते क्यों हैं?
सोचने वाली बात है न ? अगर कोई सेक्स पर बातें करता है तो उसे गलत क्यों कहा जाता है? उसे नीचा दिखाने की कोशिश क्यों की जाती है? उसे भला-बुरा क्यों बोला जाता है?
मैं बताता हूँ आपको इसका कारण--
हमारा देश एक रूडिवादी, अन्धविश्वासी देश है, जहाँ सेक्स को एक घिनोना काम माना जाता है। इसीलिए सेक्स शिक्षा हमारे देश में कहीं भी किसी भी पाठ्यक्रम में शामिल नहीं है। मैं जब 10 वीं छात्र था तब साइंस के जीव विज्ञान नामक विषय के अंतर्गत एक अध्याय ऐसा था जिसमे Human Reproduction & Human Organs की कुछ प्रारंभिक जानकारी दी गयी थी तो, अध्यापक ने वह अध्याय ही छुडवा दिया था। इससे साफ जाहिर होता है कि आज भी सेक्स पर बात करने में लोग शरमाते हैं। जब अध्यापक तक शरमाते हैं, तो आम आदमी की क्या क्या बात की जाये?अब यह तो स्पष्ट हो चुका है कि हम लोग सेक्स को बुरा नहीं मानते बल्कि सेक्स के बारे में खुलेपन से बात करने में शरमाते हैं। लेकिन बुरा इसलिए बोलते हैं कि कही सामने वाला हमारी आलोचना न करने लग जाये और हमें गलत न ठहरा दे, क्योंकि हम खुद सेक्स पर डिस्कस करने वाले को उसी नजर से देखते हैं, भले ही दिल से सुनना अच्छा लगता है। हम उसका साथ तो हैं जो आलोचना कर रहा है, लेकिन उसका नहीं आपको सेक्स की जानकारी और वाली समस्याओं से अवगत करा रहा है, क्योंकि हम एक भेड़ चाल के शिकार हैं। जिस राह पर सब जा रहे हैं उसी रास्ते पर मैं जाऊंगा चाहे रास्ता सही है अथवा नहीं, इससे मुझे कुछ लेना देना नहीं भले ही मैं दलदल में जाकर क्यों न फस जाऊ।यही वजह है - आज हम सेक्स समस्याओं के शिकार बहुत जल्दी होते हैं। सही जानकारी न होने की वजह से हमें जिसने जैसे बहका दिया और हम बहक गये, भले ही हमें कोई सेक्स समस्या नहीं है। एक MBBS या MD या BAMS यह कहता है कि स्वप्नदोष अथवा शीघ्रपतन जैसी छोटी-छोटीबातें कोई बड़ी सेक्स समस्या नहीं हैं बल्कि आम समस्याएं , तो विश्वास नहीं होगा परन्तु जब कोई झोला छाप कुछ भी बोल देगा तो बहुत जल्दी विश्वास हो जायेगा। क्या सबूत है कि झोला छाप ने बोला वह सही है? एक डिग्री होल्डर डॉक्टर जो सारा ज्ञान अर्जित करके बैठा है वह गलत है लेकिन 5 वीं फेल झोला छाप सही है। ये अज्ञानता, रुदिवादिता या अन्धविश्वास नहीं तो क्या है?
अब बताईये हमे सेक्स नॉलेज की जरुरत है या नहीं? मैं सही हूँ या गलत? कमेंट्स जरुर करें....