Sep 17, 2012

ओरल सेक्स टिप्स फॉर Guys (Cunnilingus)

ओरल सेक्स (Cunnilingus) क्या है ?

    Stimulation of vaginal area using mouth and tongue is known as performing oral sex or cunnilingus.

    किसी स्त्री के लिए ओरल सेक्स बहुत ही woderful, pleasurable हो सकता है। कुछ स्त्रियाँ तो इसको Intercourse से ज्यादा महत्व देती हैं, खासकर Clitoral Stimulation को। यह Orgasm तक जल्दी पहुँचने का सबसे आसन तरीका है, भले ही Men और Women इस को पसंद न करते हों ।

   जब आप किसी स्त्री के योनीस्थल पर  मुह रखकर उसकी योनी के Taste, Smell और Feelings को Enjoy करते हैं तो स्त्री खुद को Excited महसूस  करती है। ओरल सेक्स देने में कतराने वाले लोग अपने पार्टनर के योनिस्थल को मुह या जीभ से छूने से पहले उसको shower दे सकते हैं। ओरल सेक्स देने में डरने वाली कोई बात नहीं है अगर आपके पार्टनर का गुप्तांग अच्छी तरह से पहले ही साफ़ किया हुआ है तो, फिर  भी ओरल सेक्स में बरतने वाली सावधानियों के बारे में मैं आगे आने वाले लेख "ओरल सेक्स के खतरे और उनसे बचने के उपाय" में बताऊंगा। एक बात मैं यहाँ क्लेअर कर देना चाहता हूँ की साफ सुथरे गुप्तांग में हमारे मुह की तुलना में बहुत कम bectirias  हैं।सो डरने जेसी कोई बात नहीं।

ओरल सेक्स टिप्स--

1. The Initial Lick:--
    सबसे पहले योनी प्रवेश पर अपनी जीभ रखें और Clitoris तक योनी लिप्स पर फिराते हुए ले जाएँ। यही प्रक्रिया बार बार दोहरायें। आपकी प्यार करने यह यह शुरूआती प्रक्रिया आप के पार्टनर को Relax देगी और  Mood में आने के लिए सहयोग करेगी।

2. Holding The Labial :--
    अब योनी के दोनों लिप्स को आराम से पकड़ कर खोलें और उसके आंतरिक तथा बाह्य लिप्स के बीच में अपनी जीभ रखें और जीभ को बार बार  फिराएं।

3. Tongue Intercourse :--
    किसी भी female की योनी,valva (भग)से  2 inches-2.5 inches तक ज्यादा sensitive होती है। अतः अपनी जीभ योनी में डालकर और circular motion में lick करें या flick करें।
   यहाँ मैं  बात स्पष्ट कर  दूं कि पार्टनर को sexually satisfy करने के लिए 3 inches का लिँग भी काफी है। Sexual Satisfaction इस बात  पर निर्भर नहीं करता कि लिंग का साइज़ क्या है?बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि  का सेक्स करने का तरीका क्या है?
इस विषय पर  चर्चा फिर किसी दिन करूँगा आगे आने लेखों वाले  में।

4. Flicking :--

ओरल सेक्स

    ओरल सेक्स को हिंदी में "मुख मैथुन" कहते हैं। पुरुष द्वारा स्त्री को दिया जाने वाले ओरल सेक्स को इंग्लिश में Cunnilingus  कहा जाता है और स्त्री द्वारा पुरुष को दिया गया fellatio कहलाता है । "ओरल सेक्स" शब्द कुछ लोगो के लिए shocking होता है, क्योंकि वो इसको घ्रडित और गन्दा मानते हैं। लेकिन हकीकत तो यह है कि  लिँग  और योनी में बेक्टीरिया हमारे मुह की अपेक्षा बहुत कम होते हैं। ओरल सेक्स करने में  कुछ लोग vaginal intercourse से ज्यादा महत्व देते हैं, क्योंकि वो इसको घ्रडित नहीं मानते तथा इसके द्वारा मिलने वाले आनंद को पसंद करते हैं ।मैं अपनी बात करूँ तो मैं  ओरल सेक्स को बहुत महत्व देता हूँ। मुझे योनी  के  taste  और smell को खूब  एन्जॉय करता हूँ , लेकिन जिसके के साथ करता हूँ उसको पहले एक  पहले स्नान जरूर कराता हूँ। अगर आप इसको घ्रादित मानते हैं तो आप  ओरल सेक्स से  पहले खुद को और अपने पार्टनर को शोवेर(bath)दे सकते हैं। इस  प्रकार  आप योनी या पेनिस से आने वाली स्मेल को दूर कर सकते हैं ।  तो यही कहूँगा की ओरल सेक्स perform करने से पहले अपने गुप्तांगों को अच्छी तरह से धो कर साफ़ कर लें । 

    आप के नीचे कौन जा रहा है ? male  या female  महत्वपूर्ण यह नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि वो  आप को  कितना pleasure दे रहा है ?लेकिन मुश्किल से कुछ ही लोग इस विषय पर बात करते हैं। ओरल सेक्स पर अच्छी और mind blowing टिप्स दे पाना कुछ मुश्किल होता है।अतः मैं यहाँ "ओरल सेक्स" के लिए कुछ बेस्ट tricks दे रहा हूँ........जोकि आगे आने वाले 3 लेखों में आप के सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।

लेखों के शीर्षक इस प्रकार हैं----

1. ओरल सेक्स टिप्स फॉर guys (Cunnilingus)
2. ओरल सेक्स टिप्स फॉर girls (Fellatio)
3. ओरल सेक्स के खतरे और उनसे बचने के उपाय

So Visit Countinuously.....

Sep 16, 2012

बेड पर महिलाओं के लिए टिप्‍स

Tips For Womenयदि आपको अपनी रात सुहावनी बनानी है, तो खुद आगे बढ़ना भी आना चाहिए। अपनी रात को प्रेम और रस से भरा रखने के लिए आपको चाहिए आत्‍मविश्‍वास। सेक्‍स के मामले में पुरुष हमेशा से आगे रहते हैं, लेकिन महिलाएं पूरी तरह स्‍मार्ट नहीं हो पाती हैं। चलिए हम आपको बताते हैं कि स्‍वस्‍थ्‍य सेक्‍स के लिए आप क्‍या करें---

1. सबसे पहले आपको निडर बनना होगा। आप अपने पार्टनर को यह अहसास दिलाएं कि आप क्‍या चाहती हैं।

2. अपने पार्टनर के साथ ज्‍यादा से ज्‍यादा समय बिताएं और उसके सामने अपने प्‍यार का इज़हार करें।

3. जब आपको लगने लगे कि वो आपकी ओर आकर्षित हो रहा है, तो उसे अपनी बाहों में भरने की कोशिश करें। या फिर खुद लिपट जाएं।

4. जब आपका पार्टनर आपके करीब आए, तो प्‍यार में जरा भी कंजूसी मत करें। यदि आपको उसकी कोई बात अच्‍छी लगती है, तो तारीफ जरूर करें।

5. यदि आपका पार्टनर सेक्‍स की शुरुआत नहीं करता है, या फिर वो किसी बात से परेशान है, तो उससे ऐसी बातें करें, कि वो अपनी सारी परेशानियां भूल कर आपके करीब आ जाए।

6. पार्टनर को फोर सेक्‍स का मौका दें। चुंबन व धीरे-धीरे मसाज से उसे पूरी तरह आगोश में ले लें।

7. इस बात का इंतजार मत करें कि  वो संभोग की शुरुआत करे। यदि आप शुरुआत करेंगी, तो उसे और भी ज्‍यादा अच्‍छा लगेगा।

8. आम तौर पर महिलाएं अनचाहे गर्भ की वजह से संभोग से कतराती हैं, इसका भी है। संभोग के दौरान कंडोम का इस्‍तेमाल आपके प्‍यार को कई गुना बढ़ा देगा।

     

शादी की पहली रात और सेक्स

shadi ke baad pehli raat aur sex
शादी के बाद पहली रात हर लड़की और लड़के के लिए महत्वपूर्ण होती है। दोनों के मन में तरह-तरह के सवाल होते है। शादी की पहली रात पहली बार सेक्स करने का तनाव, डर और टेंशन लगातार सताती है साथ ही गलत छवि न बन जाने का डर भी लगातार सताता रहता है। यदि आप जल्द ही शादी करने जा रहे हैं तो आपको कुछ टिप्स का खासतौर पर ख्याल रखना जरूरी होगा। आइए जानें शादी के बाद पहली रात और सेक्स के बारे में---
  • सबसे पहले मन में उठ रहे सवालों के जवाब ढूंढने की जरूरत है। जब तक आप अपनी शंकाएं और डर को दूर नहीं करेंगे आप शादी की पहली रात सहज नहीं रह पाएंगे।
  • जरूरी है कि शादी की पहली रात अपने मन में उठ रहे तमाम डर और अन्य चीजों के बारे में बिल्कुल न सोचें। यदि आप पहले से ही कुछ परिस्थितियों का सामना करने के लिए मन में सोचकर जा रहे हैं और वैसा न हो तो आपके निराश होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
  • बहुत सारे सपनों को एक साथ न संजोए जो भी हो उसे सहज भाव से स्वीपकार करें। हो सके तो अपने किसी मित्र से आप इस विषय पर बातचीत कर सकते हैं।
  • जरूरी नहीं कि शादी की पहली रात पति ही पहल करें यदि आपका साथी पहल करने से डर रहा है तो आप भी पहल कर सकते हैं लेकिन एकदम से ही उतावले न हो।
  • पुरूषों को खासतौर पर अपने साथी के साथ एकदम से ही सेक्स संबंध नहीं बनाने चाहिए बल्कि इससे पहले अपने साथी को सहज महसूस करवाना चाहिए जिससे वह आपका साथ दे पाएं।
  • पहली बार सेक्स करने से पहले आप अपने साथी से बातें करें और इसी दौरान फोरप्ले भी कर सकते हैं। ऐसा भी जरूरी नहीं कि पहली रात सेक्स किया जाए, अगर आप दोनों शादी तक एक दूसरे को ठीक प्रकार से नहीं जान पाए हैं, तो आप एक दूसरे को समय भी दे सकते हैं।
  • यदि आपके मन में कोई डर या शंकाएं है तो कुछ भी करने से पहले थोड़ा सा वक्त लें। शादी की पहली रात सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।
  • अगर आप सोच रहे हैं कि शादी की पहली रात सेक्स से संबंधित बातें करना गलत है तो आप गलत हैं। सेक्स से पहले आप अपने पार्टनर से इस विषय पर बात कर उसे सहज महसूस करवा सकते हैं। इससे आपकी छवि पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
  • पति-पत्‍नी के बीच संबंध जीवन भर के लिए होते है, उसकी शुरुआत अगर अच्छी बातों से हो तो अच्छा है। कम से कम शुरू के दो घंटे अपने लाइफ पार्टनर को जानने की कोशिश करें।
  • सेक्स प्रेम का अंतिम रूप है। अपने साथी को पूरी तरह यकीन दिला दें, कि आप उसके लिए सबसे बेहतर पार्टनर हैं।
  • पहली बार सेक्स के दौरान आप जल्‍दबाजी न करें। बेहतर होगा यदि आप पहले अपनी पत्नी को बाहों में भर ले।
  • महिलाओं के लिए अच्छा रहता है यदि वह पति को सहज करने में अपना सहयोग देती है। इससे दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा।
  • कई बार युवाओं को सुहागरात की इतनी एक्साइटमेंट होती है कि वे अपनी भावनाएं संभाल नहीं पाते। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं ऐसा होना स्वाभाविक है। डर और झेंप की वजह से ऐसा अकसर हो जाता है। ऐसे में अपने में कोई कमी न खोजें।
  • शादी की पहली रात को यादगार बनाने के लिए जरूरी है कि आप सेक्स से ज्यादा अपने साथी को अधिक से अधिक जानने पर ध्यान दें। न कि पहली ही रात नए-नए प्रयोग करने में।
  • आप अपने साथी को खुश करने के लिए कोई अच्छा सा हनीमून पैकेज भी उपहार में दे सकते हैं।
इन टिप्स को अपनाकर आप शादी की पहली रात को न सिर्फ यादगार बना सकते हैं बल्कि अपनी रोमांटिक छवि भी बना सकते हैं।

सेक्स चर्चा (भाग-3)

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जीवन के बाह्य परिधि,दीवाल पर काम-वासना हैं--
   सेक्स की बात सुन कर हम मन ही मन रोमांचित होते हैं .जब भी मौका हो सेक्स की चर्चा में शामिल होने से नहीं चूकते .इंटरनेट पर सबसे अधिक सेक्स को हीं सर्च करते हैं,लेकिन हम इस पर स्वस्थ संवाद /चिंतन/ मंथन करने से सदैव घबराते रहे हैं और आज भी घबराते है| अनेक विद्वानों ने सेक्स को जीवन का बही आवरण बताया है जिसको भेदे बिना जीवन के अंतिम लक्ष्य अर्थात मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है . सेक्स अर्थात काम जिन्दगी की ऐसी नदिया है जिसमें तैरकर हीं मन रूपी गोताखोर साहिल यानी परमात्मा तक पहुँचता है .

    “एक बार ओशो अपने साथियों के संग खजुराहो घूमने गये . वहां मंदिर की बही दीवारों पर मैथुनरत चित्रों व काम-वासनाओं की मूर्तियों को देख कर सभी आश्चर्यचकित को पूछने लगे यह क्या है ? ओशो ने कहा ,जिन्होंने इन मंदिरों का निर्माण किया वो बड़े समझदार थे . उनकी मान्यता यह थी कि जीवन की बाहरी परिधि काम है . और जो लोग अभी काम से उलझे है ,उनको मंदिर के भीतर प्रवेश का कोई अधिकार नहीं है .फ़िर अपने मित्रों को लेकर मंदिर के भीतर पहुंचे .वहां कोई काम-प्रतिमा नहीं थी ,वहां भगवान् की मूर्ति विराजमान थी . वे कहने लगे ,जीवन के बाह्य परिधि,दीवाल पर काम-वासना है .मनुष्य को पहले बाहरी दीवार का हीं चक्कर लगाना पड़ेगा .पहले सेक्स को समझो जब उसे समझ जाओगे तब महसूस होगा कि हम उससे मुक्त हो गये हैं तो भीतर खुद बखुद आ जाओगे .तद्पश्चात परमात्मा से मिलन संभव हो सकता है . “
आदमी ने धर्म ,नैतिकता , आदि के नाम पर सेक्स को दबाना आरम्भ किया .हमने क्या -क्या सेक्स के नाम पर खाया इसका हिसाब लगाया है कभी ? आदमी को छोड़ कर ,आदमी भी कहना गलत है ,सभी आदमी को छोड़ कर समलैंगिकता /होमोसेक्सुँलिटी जैसी कोई चीज है कहीं ? जंगल में रहने वाले आदिवासिओं ने कभी इस बात की कल्पना नहीं की होगी कि पुरुष और पुरुष ,स्त्रिऔर स्त्री आपस में सम्भोग कर सकते हैं ! लेकिन सभी समाज के आंकड़े कुछ और हीं कहते हैं .पश्चिम के देशों को जाने दीजिये अब तो विकासशील देश भारत में भी उनके क्लब / संगठन बनने लगे हैं जो समलैंगिकता को कानूनी और सामाजिक मान्यता देने की बात लडाई लड़ रहे है .होमोसेक्स के पक्षधर मानते हैं – ” यह ठीक है इसलिए उन्हें मान्यता मिलनी चाहिए . अगर नहीं मिलती है तो यह अल्पसंख्यकों के ऊपर हमला है हमारा .दो आदमी अपनी मर्जी से साथ रहना चाहते हैं तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए ” ऐसे लोग खुलापन लाने की बात करते हैं .अरे , भाई इस समाज में प्राकृतिक सेक्स को लेकर खुलापन नहीं आ पाया है तब गैर प्राकृतिक सेक्स के सन्दर्भ में खुलापन कैसा ? आप सोच नहीं सकते यह होमो का विचार कैसे जन्मा ! दरअसल यह सेक्स के प्रति मानव समाज की लड़ाई का परिणाम है . सेक्स को केवल चंद मिनटों के मज़े का उपक्रम समझने की भूल है .जितना साभ्य समाज उतनी वेश्याएं हैं ! किसी आदिवासी गाँव या कसबे में वेश्या खोज सकते हैं आप ? आदमी जितना सभी हुआ सेक्स विकृत होता गया . सेक्स को जितना नकारने की कोशिश हुई उतना हीं उल्टा नतीजा आता गया . इसका जिम्मा उन लोगों के कंधे पर है जिन्होंने सेक्स को समझने के बजे उससे लड़ना शुरू कर दिया . दमित सेक्स की भावना गलत रास्तों से बहने लगी .नदी अगर रास्ते की रुकावटों के कारण अपना पथ भूल कर गलत दिशा में जहाँ गाँव बसे हैं बहने लगे तो क्या उसे रोका नहीं जायेगा ? काम / सेक्स का हमारे वर्तमान जीवन मात्र से सम्बन्ध नहीं है अपितु जीवन के आरम्भ ,उसके अंत और उसके उपरांत भी बना हुआ है . सेक्स प्रेम का जनक है और प्रेम आत्मा से परमात्मा तक जाने का जरिया . ओशो ने कहा ; काम के आकर्षण का आधार क्या है इसे समझ लेना अत्यंत आवश्यक है और यदि उस आधार पर टिके रहा जाए तो काम का राम में परिवर्तन होते देर नहीं है .

     ओशो को लोग सेक्स का पक्षपाती मानते हैं जबकि ऐसा नहीं है . उन्होंने काम की उर्जा को सही दिशा में ले जाने की बात कही है . स्वप्निल जी समलैंगिकता को विकृति नहीं मानते मैं सेक्स को पाप नहीं मानता .राजेंद्र यादव और अरुंधती सरीखे काम के ज्ञाता होमो -हेट्रो सभी तरह के सेक्स को मानते हैं पर शादी को नहीं मानते .अब साहब हमारा आपका मानना कोई चिरंतन सत्य तो नहीं है .बाबा रामदेव जैसे योग गुरु और दुनिया के अनेक चिकित्सक लोगों का मानना है यह एक हार्मोनल डिसआर्डर है . रामदेव जी ने तो यहाँ तक कहा कि जब मेंटल डिसआर्डर ठीक हो सकता है ,कैंसर ठीक हो सकता है तब होमो डिसआर्डर क्यों नहीं ? खैर , ये तो चर्चा का विषय है . समाज अक्सर भटकाव का शिकार होता है . इसी देश में आज से ४-५ सौ साल पहले से अब तक का कालखंड अनेक कुरीतियों में फंसा रहा जिन्हें तत्कालीन समाज के लोग सही मानते थे .क्या तब कोई साधारण आदमी तमाम अंधविश्वासों को गलत मानने को तैयार था ? नहीं , छोटे वर्ग में फैली तमाम कुरीतियाँ/विकृतियाँ शनैः शनैः विस्तार लेती गयी .हो सकता है आज अल्पसंख्यक गे और लेस्बियन लोग कल को बहुसंख्यक हो जाएँ . वैसे भी गलत चीजों को फैलते देर नहीं लगती है . लेकिन याद रहे वो समय भी जब अपने समय से दूर भविष्य की सोचने वाले लोगों ने समाज को नई दिशा दी है . हमारा देश कई बार जगा है और अपनी निरंतरता को बनाये हुए है .
स्वप्निल जी बदलाव से हम डरे नहीं .चर्चा होनी चाहिए और होमो कोई विषय नहीं है . हमारा विषय तो सेक्स और समाज है जिसमें एक पैरा होमो को मान कर चलना चाहिए . सेक्स जिस चीज के लिए आतुरता पैदा करता है उसे पा लें तो सारी झंझट ही ख़त्म ! लेकिन उस शांति को हमने छिछोरेपन में मज़े का स्वरुप दे दिया है . अपने अन्दर के प्रेम को बाहर लाने की जरुरत है .पर कैसे होगा ? हम जमीन का बाहरी आवरण हटा कर इस आस में बैठे हैं कि बारिश होगी तब पानी जमा होगा फ़िर पियेंगे .जबकि जरा सा गड्डा और खोद कर अन्दर का जाल प्राप्त हो सकता है . ठीक उसी प्रकार मन में बसे प्रेम को बाहर तलाशने से क्या होगा ? प्रेम तभी प्रकटित हो पायेगा जब उसे जगह मिल पायेगी .खाली ग्लास को पानी से भरी हुई बाल्टी में उलट कर रखने पर एक बूंद पानी नहीं जा पाती है क्योंकि उसमें पहले से वायु भरा होता है .उसी प्रकार सेक्स के दमन ने दिल-दिमाग पर सेक्स का कब्जा करवा दिया है . जब तक दिमाग को सेक्स के कब्जे से मुक्त नहीं करेंगे प्रेम प्रकट नहीं हो पायेगा . और ऐसा तभी होगा जब सेक्स को समझा जाए ,उसे अनुभव किया जाए .उस अनुभव में समय की शुन्यता और अहम् भाव की शुन्यता का मिलन होते हीं स्वयं प्रेम का प्रस्फुटन हो जायेगा |

    तो दोस्तों, बताईये जब मैं सेक्स पर चर्चा करता हूँ तो इसमें गलत  है ? अपनी राय अवश्य प्रस्तुत करें।।

सेक्स चर्चा (भाग -2)

      हम जीवन के मूल तत्व ‘ काम ‘ अर्थात ‘सेक्स’ के ऊपर विभिन्न विचारकों और अपने विचार को आपके समक्ष रखेंगे ।
      काम का जीवन में क्या उपयोगिता है ?सेक्स जिसे हमने बेहद जटिल ,रहस्यमयी ,घृणात्मक बना रखा है उसकी बात करने से हमें घबराहट क्यों होती है ? क्यों हमारा मन  सेक्स में चौबीस घंटे लिप्त रहने के बाद भी उससे बचने का दिखावा करता है ? अब आप कहेंगे कि आजकल जमाना बदल रहा है , यौन शिक्षा का चलन शुरू हुआ है परन्तु यह जो यौन शिक्षा दी जा रही है क्या वह सही है ? क्या केवल सेक्स कैसे करना चाहिए , यौन रोगों से कैसे बचा जा सकता है , स्त्री-पुरुष के यौनांगों की जानकारी देने भर से सेक्स को समझा जा सकता है ? नहीं , कदापि नहीं . सेक्स या काम इतना सरल और सतही नहीं है .
 
 
     ओशो कहते हैं "सेक्स प्रेम की सारी यात्रा का प्राथमिक बिंदु  है और प्रेम परमात्मा तक पहुँचने की सीढी है |" सेक्स को ,काम को,वासना को मानव समाज ने पाप का नाम देकर विरोध किया है . इस विरोध ने,मनुष्य की अंतरात्मा में निहित प्रेम के बीज को अंकुर बनने से पूर्व ही रोक दिया , प्रेम के प्रस्फुटन की संभावनाएं तोड़ दी , नष्ट कर दी |
universe/ संसार की समस्त सभ्यता- संस्कृतियों ,धर्मों , गुरुओं और महात्माओं ने काम को यानि प्रेम के उत्पत्तिस्थल पर चोट किया है . मानव समाज की इस भूल के  कारण से सेक्स एक संकीर्णता के रूप में  देखा जाने लगा  है . सेक्स से खुद को दूर करने की बाह्य  कोशिश में आदमी पल-पल “सेक्स”  की हीं सोच  में खोया  रहता  है . आज के इस उपभोक्तावादी  संसार में सेक्स की भोग वाली छवि  को बदलने  की जरुरत है . सेक्स को अध्यात्म में घोलकर दुनिया के सामने एक नए रूप में पेश किये जाने आवश्यकता  है .

     सेक्स की ऊर्जा  को प्रेम में परिवर्तित  करने हेतु  सबसे पहले सेक्स के सही स्वरुप और उसकी उपयोगिता को गहरे  से समझना होगा . यहाँ आगे अपनी  चर्चा  में इन तमाम  पहलुओं  पर प्रकाश  डालेंगे (आगे आने वाले लेख भाग-3 में)

सेक्स चर्चा (भाग -1)

मैं यह लेख इसलिए लिख रहा हूँ ताकि जो लोग  मुझे सेक्स पर चर्चा करते हुए गलत बोलते हैं उनकी भ्रान्ति को दूर सकूँ......
 
     सेक्स और समाज का सम्बन्ध ऐसा बन गया है जैसे समाज का काम सेक्स पर पहरा देने का है , सेक्स को मानव से दूर रखने का है . क्या वास्तव में समाज में सेक्स के लिए घृणा का भाव है ? क्या समाज आरम्भ से ऐसा था ? नहीं , ऐसा नहीं है . सेक्स यांनी काम घृणा का विषय नहीं होकर आनंद का और परमात्मा को पाने की ओर पहला कदम है . आप भी सोचते होंगे कि जब काम इतना घृणित क्रिया है ,भाव है तो पवित्र देवालयों , प्राचीन धरोहरों आदि की मंदिर के प्रवेश द्वार या बाहरी दीवारों पर काम भावना से ओत-प्रोत मैथुनरत मूर्तियाँ अथवा चित्र आदि क्यों हैं ? इस पोस्ट में आपकी इस साधारण शंका का समाधान करने का प्रयास किया गया है . प्रस्तुत है यह आलेख:--
 
      आखिर हमारे देवालयों मैं अश्लील मूर्तियाँ/चित्र क्यों होते हैं? इधर-उधर बहुत छाना पर इसका वास्तविक और और सही उत्तर मिला मुझे महर्षि वात्सयायन रचित कामसूत्र में | वैसे तो बाजार में कामसूत्र पर सैकडों पुस्तक उपलब्ध हैं और लगभग सभी पुस्तकों में ढेर सारे लुभावने आसन चित्र भी मिलेंगे | पर उन पुस्तकों में कामसूत्र का वास्तविक तत्व गायब है | फिर ज्यादातर पाठक कामसूत्र को ६४ आसन के लिए ही तो खरीदता है, तो इसी हिसाब से लेखक भी आसन को खूब लुभावने चित्रों के साहरे पेश करता है | पर मुझे ऐसी कामसूत्र की पुस्तक हाथ लगी जिसमे एक भी चित्र नहीं है और इसे कामसूत्र की शायद सबसे प्रमाणिक पुस्तक मानी जाती है | महर्षि वात्सयायन रचित कामसूत्र के श्लोक थोड़े क्लिष्ट हैं, उनको सरल करने हेतु कई भारतीय विद्वानों ने इसपे टिका लिखी | पर सबसे प्रमाणिक टिका का सौभाग्य मंगला टिका को प्राप्त हुआ | और इस हिंदी पुस्तक में लेखक ने मंगला टिका के आधार पर व्याख्या की है | लेखक ने और भी अन्य विद्वानों की टीकाओं का भी सुन्दर समावेश किया है इस पुस्तक में | एक गृहस्थ के जीवन में संपूर्ण तृप्ति के बाद ही मोक्ष की कामना उत्पन्न होती है | संपूर्ण तृप्ति और उसके बाद मोक्ष, यही दो हमारे जीवन के लक्ष्य के सोपान हैं | कोणार्क, पूरी, खजुराहो, तिरुपति आदि के देवालयों मैं मिथुन मूर्तियों का अंकन मानव जीवन के लक्ष्य का प्रथम सोपान है | इसलिए इसे मंदिर के बहिर्द्वार पर ही अंकित/प्रतिष्ठित किया जाता है | द्वितीय सोपान मोक्ष की प्रतिष्ठा देव प्रतिमा के रूप मैं मंदिर के अंतर भाग मैं की जाती है | प्रवेश द्वार और देव प्रतिमा के मध्य जगमोहन बना रहता है, ये मोक्ष की छाया प्रतिक है | मंदिर के बाहरी द्वार या दीवारों पर उत्कीर्ण इन्द्रिय रस युक्त मिथुन मूर्तियाँ देव दर्शनार्थी को आनंद की अनुभूतियों को आत्मसात कर जीवन की प्रथम सीढ़ी – काम तृप्ति – को पार करने का संकेत कराती है | ये मिथुन मूर्तियाँ दर्शनार्थी को ये स्मरण कराती है की जिस व्यक्ती ने जीवन के इस प्रथम सोपान ( काम तृप्ति ) को पार नहीं किया है, वो देव दर्शन – मोक्ष के द्वितीय सोपान पर पैर रखने का अधिकारी नहीं | दुसरे शब्दों मैं कहें तो देवालयों मैं मिथुन मूर्तियाँ मंदिर मैं प्रवेश करने से पहले दर्शनार्थीयों से एक प्रश्न पूछती हैं – “क्या तुमने काम पे विजय पा लिया?” उत्तर यदि नहीं है, तो तुम सामने रखे मोक्ष ( देव प्रतिमा ) को पाने के अधिकारी नहीं हो | ये मनुष्य को हमेशा इश्वर या मोक्ष को प्राप्ति के लिए काम से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है | मंदिर मैं अश्लील भावों की मूर्तियाँ भौतिक सुख, भौतिक कुंठाओं और घिर्णास्पद अश्लील वातावरण मैं भी आशायुक्त आनंदमय लक्ष्य प्रस्तुत करती है | भारतीय कला का यह उद्देश्य समस्त विश्व के कला आदर्शों , उद्देश्यों एवं व्याख्या मानदंड से भिन्न और मौलिक है | प्रश्न किया जा सकता है की मिथुन चित्र जैसे अश्लील , अशिव तत्वों के स्थान पर अन्य प्रतिक प्रस्तुत किये जा सकते थे/हैं ? – ये समझना नितांत भ्रम है की मिथुन मूर्तियाँ , मान्मथ भाव अशिव परक हैं | वस्तुतः शिवम् और सत्यम की साधना के ये सर्वोताम माध्यम हैं | हमारी संस्कृति और हमारा वाड्मय इसे परम तत्व मान कर इसकी साधना के लिए युग-युगांतर से हमें प्रेरित करता आ रहा है –
 
"मैथुनंग परमं तत्वं सृष्टी स्थित्यंत कारणम् मैथुनात जायते सिद्धिब्रह्म्ज्ञान सदुर्लाभम |"
 
     देव मंदिरों के कमनीय कला प्रस्तरों मैं हम एक ओर जीवन की सच्ची व्याख्या और उच्च कोटि की कला का निर्देशन तो दूसरी ओर पुरुष प्रकृति के मिलन की आध्यात्मिक व्याख्या पाते हैं | इन कला मूर्तियों मैं हमारे जीवन की व्याख्या शिवम् है , कला की कमनीय अभिव्यक्ती सुन्दरम है , रस्यमय मान्मथ भाव सत्यम है | इन्ही भावों को दृष्टिगत रखते हुए महर्षि वात्सयायन मैथुन क्रिया, मान्मथ क्रिया या आसन ना कह कर इसे ‘योग’ कहा है | “
 
      तो बंधुवर , सेक्स चर्चा से परहेज किया तो इश्वर तक कैसे पहुंचेंगे ? क्योंकि बगैर चर्चा के इसे समझ पाना असंभव है .अतीत में स्थापित आध्यात्मिक केन्द्रों अर्थात मंदिर /मठ आदि में दर्शाए गये काम और जीवन सम्बन्धी व्याख्या से सीख लेने की जरुरत है ।

Sep 15, 2012

कामसूत्र : तार्किकवैज्ञानिक या कपोल कल्पना

 



kamsutraवैश्विक स्तर पर भारतीय समाज की छवि एक परंपरागत (Conventional) और मर्यादाओं के बंधनों में बंधे हुए, पारस्परिक संबंधों की एक मजबूत नींव पर आधारित समाज की है. एक ऐसा समाज जो पारस्परिक संबंधों में अनैतिकता (Immoral) और निर्धारित सीमा का उल्लंघन सहन नहीं कर सकता. विशेषकर स्त्री-पुरुष के पारस्परिक संबंधों के विषय में यह बेहद रूढ़ मानसिकता वाला समाज है, जो आज भी विवाह पूर्व किसी महिला और पुरुष के संबंधों को घृणित नजर से देखता है. लेकिन पाश्चात्य देशों (Western countries)  की एक और नकल कहें या फिर रूढ़िवादिता से मुक्ति, आज के वैज्ञानिक और आधुनिक युग में लोगों की मानसिकता काफी हद तक परिवर्तित हुई है. पारंपरिक नीतियों और विषयों से अलग अन्य विषयों और क्षेत्रों को जानने की जिज्ञासा लोगों में प्रबल रूप से उपज रही है, जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्र तौर पर वैयक्तिक विचारों का आदान-प्रदान किया जाना निषेध नहीं माना जाता. लेकिन आज भी कुछ गतिविधियां ऐसी हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वर्जित कर्म की श्रेणी में रखा जाता है और जिनके बारे में बात करना तक सार्वजनिक रूप से निषेधात्मक समझा गया है. “सेक्स (Sex) की शब्दावली उन्हीं में एक हैं जिससे संबंधित कोई भी बात वर्जित और पूर्णत: अनैतिक कृत्य मानी जाती है. भले ही शहरी क्षेत्रों में कुछ खास वर्ग के लोग इसे अन्य विषयों जैसा ही सामान्य विषय मानते हों, लेकिन ऐसे लोगों की कमीं नहीं है जो इसका जिक्र करना तक गलत मानते हैं.

यहां यह बात उल्लेखनीय है कि जिस शब्दावली को आज भी लोग वर्जित कर्म की सूची में रखते हैं वहीं भारतीय महर्षि वात्स्यायन (Maharshi Vatsyaayan) ने अपनी कृति “कामसूत्र” (Kamsutra) में उसका विस्तृत उल्लेख सदियों पहले ही कर दिया था. और हैरत की बात है कि उसे मान्यता ही नहीं मिली बल्कि वह काफी लोकप्रिय भी हुआ था.

क्या है कामसूत्र?

हमारे विधि शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थों का उल्लेख किया गया है- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष. इनकी उपयोगिता और महत्व समझने से पहले इनके निहितार्थों को समझना आवश्यक है. धर्म का आशय धर्म का पालन करना नहीं अपितु धर्मानुकूल आचरण करना है, वहीं अर्थ, उचित तरीके से धन कमाने से संबंधित है, काम का अर्थ मर्यादित रूप से गृहस्थ आचरण करना और मोक्ष, जीवन में कोई अनुचित कार्य ना करने और जीवन के अर्थ को समझने से संबंधित है.

मनुष्य जीवन की सफलता इन्हीं चार पुरुषार्थों के संतुलन पर ही निर्भर करती है. महर्षि वात्सायन द्वारा लिखी गई कृति कामसूत्र (Kamsutra) इन्हीं पुरुषार्थों में से एक ‘काम’ को, मनुष्य जीवन में एक संतुलित स्थान कैसे दिया जाए और इसका आचरण कैसे किया जाए, इस उद्देश्य से लिखी गई है. कामसूत्र में ना केवल दांपत्य जीवन का ही श्रृंगार किया गया है बल्कि शिल्पकला और साहित्य (Literature) को भी उचित स्थान दिया गया है. राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी तथा खुजराहो (Khujraho) और कोणार्क (Konark) की शिल्पकला भी कामसूत्र से ही अनुप्राणित हुई है. रीतिकालीन कवियों ने ‘गीतगोविंद’ और ‘रतिमंजरी’ जैसी कृतियों में कामसूत्र की मनोहारी छवियां भी प्रस्तुत की हैं. वात्स्यायन की गुप्त काल (Gupt Period) से संबंध इस कृति में साफ चित्रित होता है कि इसमें अंकित भारतीय सभ्यता के ऊपर गुप्त युग की गहरी छाप है. कामसूत्र (Kamsutra) भारतीय समाजशास्त्र का एक प्रतिष्ठित ग्रंथरत्न बन गया है.

कामसूत्र के रचनाकार- महर्षि वात्स्यायन--

महर्षि वात्स्यायन के नाम से मशहूर मलंग वात्स्यायन भारत के एक महान दार्शनिक (Philosopher) और रचनाकार थे. इनके काल के विषय में इतिहासकार (Historian) एकमत नहीं हैं. अधिकांश इन्हें गुप्त वंश काल का दार्शनिक मानते हैं. इनका जन्म बिहार (Bihar) में हुआ था. वात्स्यायन ने कामसूत्र (Kamsutra) और न्यायसूत्रभाष्य की रचना की है. अर्थ और राजनीति के क्षेत्र में जो स्थान कौटिल्य(चाणक्य) का है, श्रृंगार और काम के क्षेत्र में वही स्थान वात्स्यायन को प्राप्त है. कामसूत्र रचना इतनी लोकप्रिय हुई कि संसार की लगभग हर भाषा में इसका अनुवाद किया जा चुका है. यहां तक की अरब के प्रमुख कामशास्त्र सुगंधित बाग (Sugandhit Bagh) पर भी कामसूत्र  (Kamsutra) की छाप दिखाई देती है. खुजराहों और कोणार्क की कृतियां भी वात्स्यायन कृत कामसूत्र की छविय़ों से ही प्रेरित हैं.

कामसूत्र के दुनियां में प्रचलन के कारण--

kamsutra bookआज गुप्त रूप से ही सही मनुष्य की शारीरिक संबंधों के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है, जिन्हें शांत करने के लिए वह निम्नस्तरीय पाठ्य सामग्रियों का सहारा लेता है और जो उसे सिर्फ आधी-अधूरी जानकारी ही प्रदान करती हैं. जानकारी का अभाव निःसंदेह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. लेकिन भारतीय महर्षि वात्स्यायन द्वारा कृत कामसूत्र‘  को लगभग दुनियां की हर भाषा में अनुवादित (Translated) करने और लोकप्रियता का मुख्य कारण यह है कि इसमें ना केवल शारीरिक संबंधों की क्रियाओं का वर्णन किया गया है बल्कि यौन रोगों से बचाव, इन्‍हें दूर करने और वैवाहिक जीवन को सुखद और मंगलकारी बनाने के लिए भी तमाम उपाय बताए गए हैं. यानि कामसूत्र के पठन से एड्स (AIDS) जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है. इन बातों से
कामसूत्र (Kamsutra) की प्रासंगिकता और दुनियां भर में इसके प्रचलन के पीछे के कारण स्‍वत: सिद्ध हो जाते हैं.

तार्किक-वैज्ञानिक या कपोल कल्पना--

दिनोंदिन मॉडर्न (Modern)  होती जीवनशैली (Lifestyle) ने व्यक्तियों की शारीरिक संबंधों के प्रति रुचि को और अधिक बढ़ा दिया है. यद्यपि प्राचीन समय से ही संभोग की प्रवृत्ति मनुष्य में विद्यमान रही है, लेकिन इसे हमेशा एक गुप्त कर्म ही समझा जाता रहा है. लेकिन अब मनुष्य़ अपनी यौन-स्वच्छंदता का मनचाहा उपयोग कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप एड्स (AIDS) जैसी कई गंभीर बीमारियों की दर लगातार बढ़ती जा रही है. कामसूत्र में दिए गए निर्देश और रोगों से बचाव के विषय में दी गई विस्तृत जानकारी काल्पनिक (Fictional) या मगगढ़ंत ना होकर विज्ञान की दृष्टि से बिल्कुल सटीक हैं. वात्स्यायन केवल एक महर्षि ही नहीं वह एक महान दार्शनिक थे और उनकी रचना कामसूत्र को विश्व की पहली और शायद एकमात्र ऐसी कृति का दर्जा दिया गया है जो स्त्री-पुरुष संबंध को विस्तृत और गंभीर रूप से उल्लिखित करती है. इसीलिए इसका अनुवाद केवल भारतीय भाषाओं (Indian Languages) में ही नहीं बल्कि विश्व की लगभग हर भाषा में किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोगों को मर्यादित संभोग के विषय में जागरुक किया जा सके. यह इस बात को प्रमाणित करता है कि कामसूत्र का प्रत्येक खंड वैज्ञानिक तथ्यों (Scientific Facts) और विवेचना पर आधारित है.

स्त्री यौन स्वास्थ्य / Sexuality for Women



     शोधों से पता चलता है कि विकलांग स्त्रियों और अविकलांग स्त्रियों के यौनक्रिया के बीच का मुख्य अंतर विकलांग स्त्रियों के रोमानी यौनसंगी तलाशने में होने वाली परेशानी का नतीज़ा होता है। यौनेच्छा का स्तर समान होता है लेकिन यौन गतिविध कम होती है क्योंकि विकलांगता से ग्रस्त बहुत ही कम औरतों को यौन संगी मिलते हैं।
सहज शब्दों में कहें तो लकवाग्रस्त स्त्रियों की यौन अभिव्यक्ति पुरुषों की अपेक्षा कम प्रभावित होती है; स्त्री के लिए अपनी यौन भूमिका का अनुकूलन करना या तय करना आसान होता है, अलबत्ता उसकी भूमिका निष्क्रिय होती है।
गर्भधारण करने की उम्र की पैरों की फालिज या चारों हाथ-पैरों की फालिज का शिकार औरतों में आमतौर पर माहवारी आने लगती है और चोट लगने के बाद 50 फीसदी औरतों का एक भी मासिक नहीं रुकता।
गर्भधारण संभव है और घायल मेरुरज्जु वाली अधिकतर औरतों का सामान्य योनिक प्रसव हो सकता है, हालांकि गर्भ के दौरान कुछ जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इन जटिलताओं में प्रसव पीड़ा के दौरान असामयिक और स्वचालित दुष्प्रतिवर्तिता (उनमें जिनके टी-6 से ऊपर चोट लगी होती है और उसके चलते जिनका रक्तचाप बढ़ जाता है, पसीना छूटता है, कंपकपी छूटती है और सरदर्द होता है) शामिल है। इसके अलावा श्रोणि क्षेत्र में संवेदन शीलता के अभाव के कारण ऐसी औरतें जान ही नहीं पातीं कि प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी है। गर्भ विरोध के मामले में भी कुछ विशेष ध्यान देना पड़ता है। खाने की गर्भ निरोधक गोलियां रक्त वाहिनियों में सूजन और खून के थक्के पैदा करती हैं और क्षतिग्रस्त मेरुरज्जु वली औरतों में इसका खतरा औऱ अधिक रहता है। लकवाग्रस्त औरतें अंतर्गभासयी निरोधक युक्तियों की अनुभूति ही नहीं कर सकतीं और उनसे अज्ञात जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। हाथ क्षतिग्रस्त होने के कारण वे डायएफ्रैम और शुक्राणुनाशकों का कुशलता पूर्वक इस्तेमाल नहीं कर सकतीं।
योनि में चिकनाई भी एक मुद्दा हो सकती है। एससीआई से ग्रस्त कुछ औरतें कहती हैं कि उनकी योनि में सहज चिकनाई रहती है जब कि कुछ की योनि में चिकनाई नहीं रहती। वैकल्पिक चिकनाई की जरूरत होने पर टुडे, एस्ट्रोग्लाइड, केवाई जेली-जैसी पानी में घुलनशील चिकनाइयों का उपयोग किया जा सकता है। वैसलीन के उपयोग की सलाह दी नहीं जाती क्योंकि वह तैलीय होती है।
पक्षाघात का शिकार औरतें कामोन्माद का अनुभव कर सकती हैं बशर्तें कि उनके श्रोणिप्रदेश में कुछ तंत्रिकोत्तेजन बचा हो। हालांकि ऐसा होता बहुत ही कम है। कुछ स्त्री-पुरुष शरीर के उन हिस्सों को यौन उद्दीपन देकर जो क्षतिग्रस्त नहीं होते ‘‘पैराआर्गज़्म’’ या ‘‘फ़ैंटम आर्गाज़्म’’ का अनुभव करने में सक्षम होते हैं। इसे सुखद फंतासीकृत कामोन्माद कहा जाता है जो पहले से मौजूद संवेदन को मानसिक स्तर पर तीव्र करता है।

स्रोत: ---
द सेंटर फ़ार रिसर्च आन वीमेन विद डिस्एबिलिटीज़, यूएबी स्पेन रिहैबिलिटेशन सेंटर/मेडिकल आरआरटीसी इन सेकंडरी कंप्लीकेशन्स इन एससीआई, पैरालाइज्ड वेटेरन्स आफ़ अमेरिका, नेशनल स्पाइनल क़ार्ड इंज़री असोसिएशन।

पुरुषों के लिए यौनिक स्वास्थ्य / Sexuality for Men



यौनिक क्रियाशीलता पक्षाघात वाले पुरुषों के लिए चिंता का प्रमुख विषय होती है। पुरुष यह जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि क्या वे अभी भी ''वैसे ही सक्षम'' हैं या फिर यौनिक आनंद अतीत की बात बनकर रह गया है। वे इस बात को लेकर चिंतित होते हैं कि अब वे बच्चों के पिता नहीं बन सकेंगे, उनके जोड़ीदार उन्हें अनाकर्षक पाएंगे, कि जीवन-साथी अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर उनके पास से चला जाएगा। यह सच है कि बीमारी या चोट के बाद पुरुष अक्सर ही अपने रिश्तों और यौनिक गतिविधि में परिवर्तन का सामना करते हैं। बेशक, भावनात्मक परिवर्तन घटित होते हैं और ये परिवर्तन व्यक्ति की यौनिकता को प्रभावित कर सकते हैं।
इस बात पर गौर करना जरूरी है कि स्वस्थ यौनिकता से महज जननांग का संपर्क ही नहीं बल्कि जोश, स्नेहशीलता और प्रेम जुड़ा होता है। फिर भी, पक्षाघात के बाद उन्नत शिश्न और कामोन्माद शीर्ष महत्व के मुद्दे होते हैं। सामान्यत: पुरुषों में दो प्रकार का स्तंभन होता है। साइकोजेनिक स्तंभन प्रुरिएंट दृश्यों या विचारों से उत्पन्न होता है और पक्षाघात के स्तर एवं हद पर निर्भर करता है। पूर्ण पक्षाघात वाले पुरुषों में प्राय: साइकोजेनिक स्तंभन नहीं होता। रिफलेक्स स्तंभन लिंग या अन्य कामोत्तेजक जोन्स (कान, चुचुक, गर्दन) के साथ सीधे संपर्क के द्वारा अनिच्छा से हो जाता है। पक्षाघात वाले अधिकतर पुरुष अनिच्छा वाले स्तंभन में समर्थ होते हैं बशर्ते कि सैक्राल रीढ़ रज्जु (एस2-एस4) क्षतिग्रस्त न हों।
पक्षाघात के बाद कामोन्माद कुछ पुरुषों के लिए संभव है लेकिन यह अक्सर वैसा नहीं होता जैसा कि प्राय: परिभाषित होता है। यह कम दैहिक, जननांगों पर कम केंद्रित और मन की स्थिति अधिक बन सकता है। यह जानना जरूरी है कि उत्तेजना यौनिकता की हानि को असंभव नहीं बनाती।
जहां पक्षाघात वाले अनेक पुरुष अभी भी ''स्तंभन प्राप्त'' करते हैं पर स्तंभन सहवास के लिए पर्याप्त कठोर या लंबे समय तक चलने वाला नहीं होता। शिश्न का स्तंभन रुक जाने (ईडी) का उपचार करने के लिए असंख्य उपचार (गोलियां, टैबलेट, सुई और रोपण) उपलब्ध हैं।
ईडी के लिए सबसे अच्छा क्लीनिकल उपचार वियाग्रा (सिल्डेनफिल) है, यह बहुत से पैराप्लेजिक पुरुषों में स्तंभन की गुणवत्ता एवं यौनिक गतिविधि को बेहतर बनाती है। इस बात के कुछ क्लीनिकल साक्ष्य हैं कि एमएस वाले पुरुष वियाग्रा से लाभ उठाते हैं। रक्तचाप की समस्या वाले (उच्च या निम्न) या वाहिकीय बीमारी वाले पुरुषों को इस दवा से बचना चाहिए। वियाग्रा की कारगरता से भी बढ़कर होने का दावा करने वाली अन्य नयी औषधियों में सियालिस और लेवित्रा शामिल हैं। हो सकता है कि लकवाग्रस्त पुरुषों के लिए वे रामबाण हों पर कोई क्लीनिकल आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। स्तंभन के एक अन्य विकल्प के तहत लिंग के तने में औषधि (पैपावाराइन या एल्प्रोस्टाडिल) इंजेक्ट की जाती है। इससे कठोर स्तंभन होता है जो कि एक घंटा या अधिक समय तक बना रह सकता है। चेतावनी : ये दवाओं के फलस्वरूप प्रिपिज्म, देर तक बना रहने वाला स्तंभन, उत्पन्न हो सकता है जो कि लिंग को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा इंजेक्शन स्तंभन खरोंच देने, डराने या संक्रमण पैदा करने का कारण भी बन सकता है और हो सकता है कि हाथ की सीमित सक्रियता वाले व्यक्ति के लिए सर्वोत्तम विकल्प न हो।
मेडिकेटेड मूत्रमार्गीय सपोजिटरि एक और विकल्प होता है। ड्रग पेलेट (एलप्रोस्टैडिल वाली) मूत्रमार्ग में रखी जाती है, जिससे रक्त नलिकाएं ढीली पड़ जाती हैं और लिंग को रक्त से भर देती हैं। यह 30 से 40 प्रतिशत उन पुरुषों के लिए एक विकल्प हो सकता है जिन पर वियाग्रा असर नहीं करती।
वैक्यूम पम्प स्तंभन लाने का बिना चीर-फाड़ वाला, गैर-औषधीय तरीका होता है। लिंग को प्लास्टिक सिलेंडर में रखा जाता है, जब हवा बाहर निकाली जाती है तो रक्त लिंग में प्रवेश करता है। लिंग के आधार के इर्दगिर्द एक इलास्टिक बैंड रखकर सख्तपने को बनाये रखा जाता है। यह नीलाभ सा दिखने वाला स्तंभन उत्पन्न करता है जो कि छूने पर ठंढा सा जान पड़ सकता है। त्वचा में खिंचाव से बचने के लिए 30 मिनट बाद बैंड को निकालना नहीं भूलें। मेडिकेयर और इंश्योरेंस कंपनियां अक्सर हाथ की सीमित सक्रियता वाले लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ बैटरी संचालित मॉडल समेत इन डिवाइसेस के लिए भुगतान करती हैं (हालांकि आपको नुस्खे की जरूरत पड़ेगी)।
पेनाइल प्रोसथेसिस (एक अर्द्ध-सख्त या नमनीय रॉड या हवा वाली डिवाइस) एक अन्य विकल्प है लेकिन चूंकि यह स्थायी किस्म का और सर्जरी के जरिये लगने वाला होती है इसलिए अन्य विकल्पों के मुकाबले जटिलताओं के लिए यह ज्यादा जोखिम भरी होती है। सर्जरी की वजह से रक्तस्राव, संक्रमण या असंवेदनता के लिए एलर्जिक प्रक्रिया हो सकती है। नियमित आउटपेशेंट प्रक्रिया के फलस्वरूप रोपण को प्रयोग में लाने से पहले चार से आठ हफ्तों के स्वास्थ्य लाभ की अवधि आवश्यक होती है। डिवाइस विशेषकर ज्यादा जटिल हवा वाली यूनिटें स्वयं ही गलत ढंग से कार्य कर सकती हैं या क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
स्खलन एवं जननक्षमता भी ऐसे प्रमुख मसले होते हैं जिनका सामना लकवाग्रस्त लोगों को करना पड़ता है। पुरुष यह जानना चाहते हैं कि क्या मैं अभी भी पिता बन सकता हूं? स्ख्लन हमेशा संभव नहीं होता पर सक्षम शुक्राणु को प्राप्त करने के तरीके हैं। घर पर या क्लीनिकल अभिविन्यास में स्खलन लाने का वाइब्रेटर एक सस्ता और काफी भरोसेमंद उपकरण होता है। वाइब्रेटरी पद्धति अगर सफल नहीं होती है तो रेक्टल प्रोब इलेक्ट्रोइजाकुलेशन एक विकल्प होता है (यद्यपि आसपास मौजूद अनेक तकनीशियनों के साथ क्लीनिक में)। पशुपालन से उधार लेकर इलेक्ट्रोइजाकुलेशन रेक्टम में एक प्रोब रख्ता है, मेजर्ड इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन स्खलन उत्पन्न करता है। शुक्राणु के एक बार एकत्रित कर लिए जाने पर उनका प्रयोग परखनली प्रविधियों और माइक्रोमैनिपुलेशन समेत कृत्रिम वीर्यारोपण के विभिन्न तरीकों में इस्तेमाल किया जा सकता है। कई बार प्राप्त किये गये शुक्राणु स्वस्थ तो होते हैं लेकिन अच्छे तैराक नहीं होते और अंडे को भेदने के लिए पर्याप्त सख्त नहीं होते। अपनी घटी हुई गतिशीलता के कारण शुक्राणु को थोड़ा हाई-टेक सहायता की जरूरत होती है। इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) का हालिया विकास जो कि ऊसाइट (अंडे) में अकेले परिपक्व शुक्राणु के सीधे इंजेक्शन से जुड़ा होता है, अक्सर गर्भाधान की ओर ले जा सकता है। सफलता की बहुतेरी कहानियां हैं लेकिन हाई-टेक की सहायता वाला जनन स्लैम-डंक नहीं है। यह भावनात्मक रूप से परेशान करने वाला और काफी महंगा विकल्प हो सकता है। फालिज के मसलों में अनुभवी जनन क्षमताविशेषज्ञ से तथ्य और उपचार विकल्प प्राप्त कीजिए।
जनन-अक्षमता से परेशान कुछ युगलों ने महिला को गर्भवती बनाने के लिए दाता शुक्राणु (शुक्राणु बैंक से) का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है। हो सकता है कि दंपति बच्चों को गोद लेने के उपलब्ध सराहनीय विकल्प को आजमाना चाहें।
आघात के बाद सेक्स : दिल की बीमारी, आघात या सर्जरी का मतलब यह नहीं होता कि संतुष्टिदायक यौन जीवन का खात्मा हो गया है। स्वास्थ्य लाभ के प्रथम चरण के बाद लोग पाते हैं कि प्यार करने का वही रूप जिसका वे पहले आनंद लिया करते थे, अभी भी बरकरार है। यह पूरी तरह से भ्रम है कि यौन जीवन की फिर से शुरुआत अक्सर दिल के दौरे, आघात या एकाएक मौत का कारण बनती है।
फिर भी, प्रदर्शन-क्षमता को लेकर भय यौन रुचि एवं क्षमता में बहुत कमी ला सकता है। स्वास्थ्य लाभ के बाद, आघात से बच निकलने वाले अवसाद का अनुभव कर सकते हैं। यह सामान्य बात है और 85 प्रतिशत मामलों में यह तीन महीनों के भीतर खत्म हो जाता है।
यकीनन, कोई व्यक्ति अपाहिज बना देने वाली बीमारी या चोट के बाद जोड़ीदार के साथ रोमांटिक एवं आत्मीय रिश्तों को जारी रख सकता है या उनकी शुरुआत कर सकता है, लेकिन दैहिक मसलों एवं अनुभूतियों पर चर्चा करना और निस्संकोच होकर आत्मीयता व्यक्त करने के नये तरीकों की तलाश करना आवश्यक है। जो कुछ भी संतुष्टिदायक एवं आनंदप्रद जान पड़ता है वह ठीक है बशर्ते कि दोनों लोग रजामंद हों।
जहां यह कहा जाता है कि सबसे बड़ा यौन अंग मस्तिष्क होता है वहीं अपने यौन व्यक्तित्व में बड़े समायोजन करना हमेशा आसान नहीं होता। पक्षाघात के बाद स्वस्थ रिश्ते बनाने या बनाये रखने को लेकर भय या चिंता की अनुभूतियों से पार पाने के लिए पेशेवर सलाह आवश्यक हो सकती है।
सुरक्षित सेक्स : यौन संचरित बीमारी (गोनोरिया, सिफलिस, हर्पीज और एचआईवी वाइरस समेत एसटीडी) का जोखिम पहले जितना ही पक्षाघात के बाद भी बना रहता है। यौन संचरित बीमारियों को स्पर्मिसाइडल जेल वाले कंडोम के प्रयोग से रोकिये।


स्रोत: यूनिवर्सिटी आफ एलाबामा/बर्मिंघम - रीढ़ रज्जु की चोट की द्वितीयक अवस्थाओं पर आरआरटीसी (http://www.spinalcord.uab.edu), पक्षाघात के इलाज के लिए मियामी प्रोजेक्ट, इंटरनेशनल एमएस सपोट फाउंडेशन

Sep 14, 2012

लाल धब्बों की कहानी - महिलाओं की जुबानी

 

यहाँ  रजोधर्म के बारे समाज में अज्ञानता का वर्णन है और 'मेरी छोटी सी लाल किताब' (My Little Red Book) की समीक्षा है।

कुछ समय पहले डेसमंड मॉरिस ने डिस्कवरी चैनल पर 'मानव लिंग' (The Human Sexes) नामक एक श्रंखला निम्न पांच भागों में की थी।

  1. Different but Equal
  2. The Language of the Sexes
  3. Patterns of Love
  4. Passages of Life
  5. The Maternal Dilemma
प्रत्येक भाग में भी कई कड़ियां थीं। पहले भाग में बताया गया था कि महिला और पुरुष भिन्न पर एक दूसरे के बराबार हैं - किसी में महिलायें आगे हैं तो किसी में पुरुष। इस श्रंखला के पहले भाग की पहली कड़ी देख सकते हैं। इसकी कई अन्य कड़ियां भीं अन्तरजाल पर उपलब्ध हैं और देखने योग्य हैं।

महिलाओं और पुरुषों में बहुत कुछ भिन्नता तो सदियों से दोनो को अलग अलग कार्य करने के कारण या उनके लालन पालन में है पर कुछ भिन्नता जैविक भी है। जैविक भिन्नता का सबसे पुख्ता सबूत रजोधर्म (Menstruation) है। लेकिन जब अब पुरुष भी बच्चे पैदा करने लगे तो शायद यह भिन्नता भी नहीं रहे।

अधिकतर सभ्यताओं में, महिलाओं को रजोधर्म के समय अपवित्र माना गया। वे इसके दौरान न तो खाना बना सकती थी न ही पूजा कर सकती थीं। मेरे विचार में यह बीते हुऐ कल की बात है और आज ऐसा नहीं समझा जाता है। मैं, यह इसलिये सोचता था क्योंकि मैं एक सयुंक्त परिवार में बड़ा हुआ हूं। हमारे परिवार में चाचियां, बहनें, भाभियां थीं पर मुझे कभी भी पता नहीं चलता था कि वे कब इस दौर से गुजर रहीं हैं। मेरे परिवार में महिलाओं के साथ कभी भी रजोधर्म के समय उनसे कोई अन्तर नहीं किया गया।

लगता है कि, मेरी सोच सही नहीं है। रजोधर्म के बारे में लोगों की अज्ञानता समाप्त नहीं हुई है।

मैंने कुछ दिन पहले 'आज की दुर्गा - महिला सशक्तिकरण' की कहानी कई कड़ियों में अपने उन्मुक्त चिट्ठे पर लिखी थी। इसे बाद में संकलित कर इसी नाम से अपने चिट्ठे लेख में यहां प्रकाशित किया है। इस श्रंखला की एक कड़ी, महिलाओं में रजोधर्म (Menstruation) से संबन्धित थी। इसमें मैंने सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का जिक्र किया था जिसमें इसके बारे में सूचना को एकान्तता के अन्दर बताया गया था। किसी को इसके बारे में सूचना मांगना अनुचित कहा गया। मेरे विचार से, इस तरह की सूचना मांगना, अज्ञानता की निशानी है।

कुहू जी, मुझे अन्तरजाल पर मिली थी। मैंने उनका परिचय, अपनी चिट्ठी 'अंतरजाल पर हिन्दी कैसे बढ़े' में करवाया था। उन्होंने कुछ दिन पहले अंग्रेजी में 'The Red Coloured Blues' और हिन्दी में सुनो, सुनो एक बात सुनो नामक चिट्ठी लिखी है। वे एक शादी में चेन्नई गयी हुई थीं। वहां रजोधर्म के दौरान क्या हुआ यह इस चिट्ठी में लिखा है। उन्हें एक कोने में बैठा दिया गया। उनके खाने के बर्तन बदल दिये गये। यह मुझे अविश्वसनीय लगता है। मैं सोच ही नहीं सकता कि आधुनिक भारत में इस तरह का बर्ताव हो सकता है।

मेरे कुछ मित्रों की पत्नियां रजोधर्म के दौरान कम काम करती हैं। उनके मुताबिक उन्हें कमजोरी रहती है। हो सकता है कि यह सच न हो और सच कुछ और ही हो क्योंकि शुभा के मुताबिक इस दौरान कोई भी कमजोरी नहीं होती है। यह केवल मनोवैज्ञानिक है पर इसके अतिरिक्त मैंने, समाज में, रजोधर्म के समय महिलाओं के साथ बर्ताव में कोई अन्तर नहीं पाया। ।

आज जब मैं रजोधर्म के बारे में बात कर रहा हूं तो इस संबन्ध पर एक पुस्तक का जिक्र करना चाहूंगा। रैशल कॉंडर नालेबफ (Rachel Kauder Nalebuff ) ने एक पुस्तक 'मेरी छोटी लाल किताब' (My Little Red Book) (माई लिटल रेड बुक) नाम से लिखी है। इसमें उन्होंने ९२ युवतियों के पहले रजोधर्म के संस्मरण लिखें है।

'मेरी छोटी लाल किताब' में एक संस्मरण बैंगलोर की युवती का है जो कुहू जी की चिट्ठी में वर्णित व्यवहार की तरह है। इस पुस्तक में कुछ अजीब तरह के अनुभवों को बांटा गया है। यह पुस्तक, शायद पुरुषों को रुचिकर न लगे पर महिलाओं को अवश्य भायेगी। यह पुस्तक हर युवती को पढ़नी चाहिये। शायद पुरुषों को भी - वे उनकी मुश्किलों को, उनके साथ होते अन्याय को, ज्यादा अच्छी तरह समझ सकेंगे।

यदि आप इस पुस्तक के बारे में इसकी लेखिका रैशल से जानना चाहते हैं तो यहां सुन सकते हैं।

इस तरह का व्यवहार अज्ञानता के कारण होता है। रजोधर्म के बारे में अज्ञानता, अथार्त यौन शिक्षा का आभाव। रजोधर्म के बारे में अज्ञानता के बारे में मैंने अपनी चिट्ठी यौन शिक्षा में भी जिक्र किया है। लोग अक्सर यौन शिक्षा का सही अर्थ नहीं जानते हैं और उसकी निन्दा करते हैं। यौन शिक्षा का सही मतलब इस तरह की अज्ञानता को दूर करना है।

महिलाओं के साथ, इस तरह का व्यवहार, न केवल यौन शिज्ञा के महत्व को उजागर करता है पर इसकी जरूरत को भी दर्शाता है।

कब करें सेक्स

 

सेक्‍स एक ऐसी चीज है जो किसी के दवाब में नहीं कि जा सकती है। यह न सिर्फ दों जिस्‍मों का मिलन होता है बल्कि दो दिलों की कई भावनाएं भी इससे जुड़ी होती हैं। खासकर महिलाएं इससे भावनात्‍मक रूप से ज्‍यादा जुड़ी होती है, इसलिए पुरुषों को सेक्‍स के समय इस बात का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए कहीं महिलाओं को उनकी किसी हरकत से बुरा तो नहीं लग रहा है।
अक्‍सर पुरुष सेक्‍स के समय जल्‍दबाजी करते हैं। जबकि महिलाएं इसके तैयार नहीं होती। इसलिए सेक्‍स किसी समय किया जा रहा है इसका विशेष ध्‍यान रखना चाहिए। अक्‍सर सेक्‍स के समय हमारे मन में कई तरह के सवाल उमड़ते रहते हैं जैसे पहली बार संबंध कैसे बनाएं।

यौन संबंध बनाने में जल्‍दी न करें
पुरुष हो या औरत सभी में कामोत्‍तेजना होती बशर्ते वह सही समय पर हो, संबंध तभी बनाएं जब दोंनों तरफ से पहल हो, इससे आप चरम सीमा तक तो पहुंचेगें ही साथ एक दूसरे को संतुष्‍ट भी कर पाएंगे। इसके लिए जितना हो सके एक दूसरे को समय दें।

टच करना सीखें
सेक्‍स करने से पहले अपने पार्टनर की भवना को समझें जैसे क्‍या आपके छूने से उसको कोई दिक्‍कत तो नहीं होती। जैसे शुरुआत में आप अपने पार्टनर के हाथों, गालों या फिर पीठ पर किस कर सकते हैं। इससे आपका पार्टनर सेक्‍स के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।

समय का विशेष ध्‍यान रखें
सेक्‍स का समय के साथ विशेष महत्‍व है। जैसे अगर आपको पता है आपके पास सिर्फ 1 घंटा है और इसके बाद कहीं जाना पड़ेगा तो सेक्‍स के बारे में न सोंचे क्‍योंकि यह केवल शारीरिक जरूरत नहीं बल्कि मानसिक जरूरत भी है। जैसे कार, किसी दूसरे के घर या फिर बाहर सेक्‍स की जगह न चुनें।

माहौल बनाएं:-
अक्‍सर हम अपने दोस्‍तों के साथ बातें करते रहते हैं जैसे कुछ भी काम करना है तो उसके लिए पहले मौहोल होना चाहिए। ऐसे ही सेक्‍स करने से पहले माहौल का होना बहुत जरूरी है। जैसे संबध बनाने से पहले पार्टनर से कुछ रोमांटिक बातें करें, हो सकता है आप पहली बार सेक्‍स कर रहें हो इसलिए पहला एक्‍सपीरियंस अच्‍छा न हो मगर पहला सेक्‍स का अहसास आपको हमेशा याद रहेगा।

दस सामान्य सेक्स समस्याएं...

सेक्‍स के तुरंत बाद क्‍यों आती है नींद ???

    अक्सर बीवी की शिकायत करती है कि सेक्स के बाद खराटे भरने लग जाते हैं। अब इसका रहस्य पता चल गया है। इसके पीछे उनके शरीर में होने वाले रसायनिक बदलाव जिम्‍मेदार हैं। पुरुष अगर कोशिश करें तो इस पर नियंत्रण पा सकते हैं।

     सर्वे में 100 पुरूषों पर सर्वे किया गया। ज्‍यादातर पुरूषों ने स्वीकार किया कि सेक्स के बाद तुरंत नींद आ जाती हैं। लेकिन इसकी वजह साफ नहीं थी। माना जा रहा था कि सेक्स के दौरान पुरूषों के शरीर में ऑक्सिटोसीन होर्मोन का स्राव बढ जाता है जो आराम का अनुभव कराता है और फिर प्रोलेक्टिन का स्राव उन्हें नींद दिला देता है। लेकिन यह नींद को ठीक तरीके से विश्लेषण नहीं कर पाती थी।

     अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वे सचचाई को जान गए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक क्लाइमेक्स के दौरान सरबेरल कोर्टेक्स बंद हो जाती है। यही हिस्सा सोचने का काम करती है। फ्रांस के वैज्ञानिक स्टोलेरू कहते हैं कि सोचने की क्षमता बंद होते ही दिमाग तुरंत कहता है सो जाओ। दूसरी महिलाओ में सरबेरल कोर्टेक्स पहले की तरह काम करता रहता है।

    इसलिए सेक्स के बाद औरत गप्पे मारना चाहती हैं और मर्द सोना चाहता है। सेक्स अच्छी नींद के लिए भी बहुत उपयोगी माना जाता है। हालांकि महिलाओं को पुरूषों की ये आदत अच्छी नहीं लगती। पहले माना जाता था कि पुरूष चाहे तो सेक्स के तुरंत बाद नींद पर नियंत्रण पा सकते हैं, लेकिन अब यह साबित हो गया है कि भले ही पुरुष उस पर नियंत्रण कर ले। लेकिन हमारे शरीर की बनावट ऐसी है कि हम सेक्स के बाद सो जाते हैं।

3 बार सेक्स करें खुशहाल रहेगी ज़िन्दगी

     3 Times Sex In Week Is Good For Health दोस्‍तों सेक्‍स और किस का हामारी खुशहाल जिंदगी में अहम योगदान है एक शोध के मुताबिक अगर आप अपनी शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बनाना चाहते हैं, तो हफ्ते में कम से कम तीन बार सेक्स करना चाहिए और दिन में 4 बार अपनी बीवी या पति को किस करें।


     हैपी मैरिज लाइफ के लिए अपनी पत्नी या पति को रोज एक बार आई लव यू कहना भी जरूरी है। रिसर्च के दौरान यह बात खुल का सामने आई है अपने पार्टनर को चाहे वो पुरुष हो या महिला दिन में कम से कम तीन बार गले लगाना चाहिए। इसके अलावा कम से कम महीने में दो बार उसके साथ रोमांटिक अंदाज में डिनर करना चाहिए।

     अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस तरह के मैजिक ट्रिक अपनाने से आप हमेशा खुश रहेंगे। साथ ही आपकी मैरिज लाइफ और लाइफ पाटर्नर भी खुश रहेगा। इस सर्वे में करीब 3 हजार से ज्‍यादा शादी शुदा लोगों को शमिल गया था जिनकी उम्र 31 से लेकर 32 साल के बीच थी और उनकी शादी को करीब 2 से 3 साल हुए थे। वैसे भी सेक्‍स को न केवल दो शरीर का मिलन कहा जाता है बल्कि इसे दो आत्‍माओं का मिलन भी कहा जाता है।

     सेक्‍स करने से हमारे शरीर में कुछ ऐसे कैमिकल बनते हैं जो केवल उसी समय शरीर में जनरेट होते हैं। वहीं चुंबन और अपने पार्टनर को गले लगाने से पार्टनर को एक अगल तरह की खुशी होती है जो आपके जीवन में एक नई उमंग लाती है। इससे आपके और पार्टनर के बीच कोई तनाव भी नहीं होगा साथ में शरीर भी स्‍वस्‍थ रहेगा। 

Sep 3, 2012

क्या संभोग के दौरान दर्द होना सामान्य है ?

पहली बार संभोग से कई तरह के मिथ जुड़े हुए हैं। लोगों का ऐसा मनोविज्ञान है कि पहले संभोग के समय में लड़कियों को काफी दर्द होता है। इस दौरान ब्लीडि़ग को लेकर भी अनेक तरह की भ्रांतियां हमारे समाज में मौजूद हैं। क्या सचमुच पहला संभोग कष्टदायक होता है? संभोग करने की स्थिति से भी दर्द का कुछ नाता है? ऐसे कुछ भ्रम लोगों के मन में अकसर रहते हैं। कैसे आप इस दर्द से निजात पाकर सेक्स संबंधों का आनंद ले सकते हैं और अपने रिश्तों को सामान्य बना सकते हैं। आइए जानें क्या संभोग के दौरान दर्द होना सामान्य है या ये सिर्फ एक मिथ है?

संभोग के दौरान होने वाले दर्द को मेडीकल की भाषा में दाईस्पेरेनिया कहते हैं। यह ऐसा दर्द है जो एक बार होने पर बार-बार हो सकता है और इस दर्द का असर महिला-पुरूषों के रिश्ते पर बहुत बुरा पड़ता है।

क्यों होता है दर्द -
  • वास्तव में पहली बार संभोग के समय महिलाओं को होने वाले दर्द का मुख्य कारण योनि का बहुत ज्यादा टाइट होना है। ऐसा तब होता है जब योनि की मांसपेशियां खींच जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। ऐसी स्थिति में संभोग के समय महिला को बहुत अधिक दर्द होता है। ऐसा उन स्त्रियों के साथ होने की संभावना रहती है जो सेक्स संबंधों को बहुत बुरा मानती हैं और संभोग के समय पुरूष के साथ सहयोग नहीं करती। इसका मनोवैज्ञानिक असर यह होता है कि संभोग के समय योनि की मांसपेशिया सिकुड़ जाती हैं और तेज दर्द होता है।

  • योनि में किसी भी तरह का इंफेक्शन भी संभोग के समय दर्द का एक बहुत बड़ा कारण है। अकसर योनि के आकार में परिवर्तन हो जाता है जिसे एंड्रियोमेट्रियोसिस कहते हैं। यदि आपको भी संभोग के दौरान दर्द होता है तो आपको तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए।

  • संभोग के दौरान होने वाले दर्द का एक मनोवैज्ञानिक कारण भी है। लड़कियों की परवरिश बचपन से ही इस तरह से की जाती है कि सेक्स को लेकर उनके मन में डर बैठ जाता है। वह सेक्स के नाम से ही घबराने लगती हैं और उन्हें अपनी किशोरावस्था और युवावस्था के दौरान यह भी सुनने को मिलता है कि पहली बार किया गया संभोग बहुत कष्टदायक होता है और इस दौरान खूब ब्लीडिंग भी होती है। लंबे समय तक यह भी माना जाता रहा है कि यदि पहली बार संभोग के दौरान ब्लीडिंग ना हो तो लड़की पहले सेक्स कर चुकी है। ये तमाम बातें लड़की के मन में मनोवैज्ञानिक रूप से संभोग के प्रति डर पैदा कर देती है और इस तरह की लड़कियों को पहली बार संभोग के दौरान अकसर दर्द की शिकायत होती है।

  • यदि आप चाहते हैं कि आपको संभोग के दौरान दर्द ना हो तो आपको कुछ सेक्स पोजीशंस का इस्तेमाल पहली बार संभोग के दौरान करना चाहिए और आपको अपने मन से संभोग में होने वाले दर्द व अन्य मिथों को दूर कर देना चाहिए।

Sep 1, 2012

औरतों को पुरूष के शरीर के कौन से अंग करतें हैं आकर्षित?

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ऐसा हम सभी जानतें है कि पुरूष महिलाओं के शरीर के अंगों के प्रति आकर्षित होतें है लेकिन महिलाएं भी पुरूषों के अंगों के प्रति उतनी ही गम्‍भीर होती है। सेक्‍स के दौरान शरीर के अंगो का आकर्षक होना बहुत ही महत्‍वपूर्ण होता है। शरीर के भरे पूरे और वेल शेप्‍ड अंग औरतों को तेजी से आ‍कर्षित करतें है।

पुरूषों के शरीर के कुछ खास अंग होतें है जिनसे महिलाए आकर्षित होती है और बेड पर सेक्‍स के दौरान तेजी से उत्‍तेजित हो जाती है। आज हम आपको अपने इस लेख में पुरूषों के उन्‍ही अंगों के बारें में बताऐंगे कि जो महिलाओं को अपनी तरफ तेजी से आकर्षित करतें है।

महिलाओं को उत्‍तेजित करना वाले पुरूष के अंग:


पुरूष का कंधा:
 पुरूष का चौड़ा कंधा महिला को सबसे ज्‍यादा अपनी तरफ आकर्षित करता है। जब पुरूष अपनी बाहों में महिला का आलिंगन करता है तो महिला पुरी तरह उत्‍तेजित हो जाती है। बेड पर सेक्‍स के दौरान कुछ महिलाएं पुरूष के कंधे पर अपने दांतों से काटना भी पसंद करती है। ऐसा चौड़ा कंधा जिसके आगोश में महिला खुद को महफूज महसूस करे महिलाओं को बहुत पसंद होता है।

चौड़ा सीना:
 पुरूष शारीरिक रूप से मजबूत हो यह महिलाओं को सबसे ज्‍यादा पसंद होता है। पुरूष का चौड़ा सीना भी महिलाओं को सबसे ज्‍यादा आकर्षित करता है। महिला अपने साथी के सीने पर अपने हाथों का स्‍पर्श देकर पुरूष को भी उत्‍तेजित करती है और खुद भी उत्‍तेजित होती है।

जुबान:
 पुरूषों की जुबान यह पुरूष के शरीर का एक ऐसा अंग होता है जिससे महिलाएं बहुत ही पसंद करती है। यदि पुरूष अपने जुबान का सही इस्‍तेमाल महिला के शरीर पर करता है, मसलन जीभ से महिला के शरीर को सहलाना, होंठों को स्‍पर्श करना आदि तो महिला अपनी उत्‍तेजना की चरमोत्‍कर्ष पर पहुंच जाती है।

लिंग:
 महिला को पुरूष का लंबा और मोटा लिंक बहुत पसंद होता है। सेक्‍स के दौरान महिला अपने साथी के लिंग को स्‍पर्श करके इस बात से संतुष्‍ट होती है। बिस्‍तर पर महिला अपने साथी के लिंग को चुमकर, या फिर उसे अपने शरीर से रगड़ कर उत्‍तेजित होने की कोशिश करती है।

मजबूत काठी:
 कोई भी महिला सदैव एक मजबूत काठी के पुरूष के प्रति जल्‍दी ही आकर्षित हो जाती है बजाए एक दुर्बल शरीर वाले व्‍यक्ति के। ऐसे शरीर वाला पुरूष जो कि महिला के शरीर को बिस्‍तर पर आसानी से नियंत्रित कर सके, उसे आगोश में ले सके ऐस शरीर के व्‍यक्ति को महिलाएं ज्‍यादा पसंद करती है।

सेक्‍स लाइफ को बेहतर बनाने के लिये रोज खाए

Food Better Sexual Health
भले ही आप अपने ऑफिस में या फिर दोस्‍तों के बीच में कितने ही अल्‍फा मेल कहलाए जाते हों लेकिन इसका यह मतलब बिल्‍कुल भी नहीं है कि आप बेडरुम में भी उतने ही पर्फेक्ट हैं। अगर आप अपनी पार्टनर को संतुष्‍ट नहीं कर पाते हैं तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, आजकल की लाइफस्‍टाइल ही ऐसी हो गई है कि इसका खामियाजा तो आपको उठाना ही पड़ेगा। हमारी सलाह है कि आप अपनी तनाव भरी जीवनशैली को छोड़कर अपने खान-पान में ऐसे आहार को शामिल करें जिससे आप अपनी सेक्‍स लाइफ को और भी ज्‍यादा बेहतर बना सके।

रोज खाएं इन्‍हें-

1. सरसों:
सरसों न सिर्फ शरीर और मन को स्वस्थ रखता है बल्कि सरसो को हमेशा से ही सेक्सुअल ग्लैंड्स के लिए फायदेमंद माना जाता है। इतना ही नहीं सरसो को खाने से सेक्स की भावना को बढ़ावा मिलता है।

2. अदरक:
हमारे भारतीय मसालों में बहुत से ऐसे मसाले हैं जो कि सेक्स ड्राइव को बढाने में मददगार होते हैं। अदरक भी उनमें से एक है। अदरक से सिर्फ चाय या सब्जी का जायका ही नहीं बढता बल्कि अदरक को सेक्स उत्प्रेरक भी माना जाता है। आप अदरक को अपने खान-पान में शामिल करके अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बना सकते है। इसकी तीखी खुशबू और स्वाद का यौन भावना से सीधा रिश्ता है। इसमें मौजूद तत्व व्यक्ति के भीतर रक्त संचार को तेज करते हैं। इसीलिए इसे हर लिहाज से एक बेहतर सेक्स उत्प्रेरक माना जाता है।

3. डार्क चॉकलेट:
क्या आपको पता है कि चॉकलेट से भी आप अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बना सकते हैं। डार्क चॉकलेट को भी सेक्स उत्प्रेरक के रूप में जाना जाता है। चॉकलेट में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो कि मस्तिष्क से एक खास तरह के हार्मोन के रिसाव को प्रेरित करते हैं। इस हार्मोन की मौजूदगी व्यक्ति में शांति और आनंद की भावना को लाता है, जो कि सेक्स उत्प्रेरक का काम करता है। अगर रोज नहीं तो कम से कम हफ्ते में दो-तीन बार डार्क चाकलेट का भोग जरुर करें।

4. जिंक:
सेक्‍स लाइफ को बेहतर बनाने के लिये कई विटामिन और मिनरल की जरुरत होती है लेकिन इस मामले में जिंक का कोई मुकाबला नहीं। यह लंबे समय तक सेक्‍शूअल और प्रजनन स्‍वास्‍थ्‍य पर अपना असरदारी प्रभाव छोडता है। आपकी सेक्‍शूअल स्‍टैमिना बहुत ज्‍यादा जिंक के प्रयोग पर निर्भर है इसलिये अगर अपने सेक्शूअल क्लाइमैक्स को बढाना है तो अपने आहार में मीट, अनाज, मूंगफली, तरबूज और मेवे आदि शामिल कीजिये।

5. गाजर:
गाजर पुरूषों में यौन शक्ति बढाने वाला माना जाता है। पुरातन सालों से गाजर का इस्तेमाल पु्रूषों की फर्टिलिटी क्षमता को मजबूती प्रदान करने में होता था। साथ ही गाजर खाने से व्यक्ति का स्नायु तंत्र भी मजबूत होता है। साथ ही इसमें मौजूद विटामिन व्यक्ति की सेक्स लाइफ को भी बेहतर बनाता है।