हम जीवन के मूल तत्व ‘ काम ‘ अर्थात ‘सेक्स’ के ऊपर विभिन्न विचारकों और अपने विचार को आपके समक्ष रखेंगे ।
काम का जीवन में क्या उपयोगिता है ?सेक्स जिसे हमने बेहद जटिल ,रहस्यमयी ,घृणात्मक बना रखा है उसकी बात करने से हमें घबराहट क्यों होती है ? क्यों हमारा मन सेक्स में चौबीस घंटे लिप्त रहने के बाद भी उससे बचने का दिखावा करता है ? अब आप कहेंगे कि आजकल जमाना बदल रहा है , यौन शिक्षा का चलन शुरू हुआ है परन्तु यह जो यौन शिक्षा दी जा रही है क्या वह सही है ? क्या केवल सेक्स कैसे करना चाहिए , यौन रोगों से कैसे बचा जा सकता है , स्त्री-पुरुष के यौनांगों की जानकारी देने भर से सेक्स को समझा जा सकता है ? नहीं , कदापि नहीं . सेक्स या काम इतना सरल और सतही नहीं है .
काम का जीवन में क्या उपयोगिता है ?सेक्स जिसे हमने बेहद जटिल ,रहस्यमयी ,घृणात्मक बना रखा है उसकी बात करने से हमें घबराहट क्यों होती है ? क्यों हमारा मन सेक्स में चौबीस घंटे लिप्त रहने के बाद भी उससे बचने का दिखावा करता है ? अब आप कहेंगे कि आजकल जमाना बदल रहा है , यौन शिक्षा का चलन शुरू हुआ है परन्तु यह जो यौन शिक्षा दी जा रही है क्या वह सही है ? क्या केवल सेक्स कैसे करना चाहिए , यौन रोगों से कैसे बचा जा सकता है , स्त्री-पुरुष के यौनांगों की जानकारी देने भर से सेक्स को समझा जा सकता है ? नहीं , कदापि नहीं . सेक्स या काम इतना सरल और सतही नहीं है .
ओशो कहते हैं "सेक्स प्रेम की सारी यात्रा का प्राथमिक बिंदु है और प्रेम परमात्मा तक पहुँचने की सीढी है |" सेक्स को ,काम को,वासना को मानव समाज ने पाप का नाम देकर विरोध किया है . इस विरोध ने,मनुष्य की अंतरात्मा में निहित प्रेम के बीज को अंकुर बनने से पूर्व ही रोक दिया , प्रेम के प्रस्फुटन की संभावनाएं तोड़ दी , नष्ट कर दी |
संसार की समस्त सभ्यता- संस्कृतियों ,धर्मों , गुरुओं और महात्माओं ने काम को यानि प्रेम के उत्पत्तिस्थल पर चोट किया है . मानव समाज की इस भूल के कारण से सेक्स एक संकीर्णता के रूप में देखा जाने लगा है . सेक्स से खुद को दूर करने की बाह्य कोशिश में आदमी पल-पल “सेक्स” की हीं सोच में खोया रहता है . आज के इस उपभोक्तावादी संसार में सेक्स की भोग वाली छवि को बदलने की जरुरत है . सेक्स को अध्यात्म में घोलकर दुनिया के सामने एक नए रूप में पेश किये जाने आवश्यकता है .सेक्स की ऊर्जा को प्रेम में परिवर्तित करने हेतु सबसे पहले सेक्स के सही स्वरुप और उसकी उपयोगिता को गहरे से समझना होगा . यहाँ आगे अपनी चर्चा में इन तमाम पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे (आगे आने वाले लेख भाग-3 में)
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